इस दिशा में रखें तुलसीका पौधा, हर शाम जरुर करें ये काम, प्रसन्न होंगी महालक्ष्मी
तुलसी का पौधा लगभग हर घर में रहता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार घर में तुलसी का पौधा होना बहुत शुभ भी होता है। माना जाता है की तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा भी घर में तुलसी का होना बहुत हितकारी होता है। कार्तिक मास में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व माना जाता है और इसमें प्रतिदिन दीपक लगाकर पूजा की जाती है।
तुलसी का पौधा आपके जीवन में आपके द्वारा की जाने वाली हर चीज के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए जब भी घर में तुलसी का पौधा लगाएं तब वास्तु अनुसार ये टिप्स जरुर अपनाएं।
- वास्तु के अनुसार तुलसी हमेशा बालकनी या खिड़की की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इसके अलावा आप घर के आंगन में आगे या पीछे की तरफ भी लगा सकते हैं।
- तुलसी का पौधा रखते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखें की तुलसी एक महिला पौधा है। इसलिये इसे हमेशा फूलों के पौधों को पेड़ के करीब रखा जा सकता है। कैक्टस और कांटेदार पौधों के पास कभी तुलसी का पौधा नहीं रखना चाहिए।
- शाम के समय तुलसी के पौधे में दिपक जरूर लगाएं। कहा जाता है की हर दिन दिया-बत्ती के समय तुलसी में दीपक लगाते हैं उनपर हमेशा महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
- वास्तुशास्त्र के अनुसार, तुलसी का पौधा वास्तुदोषों को खत्म कर देता है। इसलिये तुलसी का पौधा आप उस जगह जरुर रखें जहां वास्तु त्रुटि हो।
- इसे ऐसी जगह पर लगाया जाना चाहिए। जो बहुत साफ और स्वच्छ होना चाहिए और नियमित रूप से बनाए रखा जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पौधे के भीतर और आसपास बाहरी धूल का अस्तित्व इसके अच्छे प्रभावों को कम कर सकता है।
तुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और १ से ३ फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ १ से २ इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं। पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल में फूलते हैं। पौधा सामान्य रूप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है। इसके बाद इसकी वृद्धावस्था आ जाती है। पत्ते कम और छोटे हो जाते हैं और शाखाएँ सूखी दिखाई देती हैं। इस समय उसे हटाकर नया पौधा लगाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।
तुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और १ से ३ फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ १ से २ इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं। पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल में फूलते हैं। पौधा सामान्य रूप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है। इसके बाद इसकी वृद्धावस्था आ जाती है। पत्ते कम और छोटे हो जाते हैं और शाखाएँ सूखी दिखाई देती हैं। इस समय उसे हटाकर नया पौधा लगाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।
प्रजातियां
तुलसी की सामान्यतः निम्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
- १- ऑसीमम अमेरिकन (काली तुलसी) गम्भीरा या मामरी।
- २- ऑसीमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) मुन्जरिकी या मुरसा।
- ३- ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम।
- ४- आसीमम ग्रेटिसिकम (राम तुलसी / वन तुलसी / अरण्यतुलसी)।
- ५- ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी)।
- ६- ऑसीमम सैक्टम
- ७- ऑसीमम विरिडी।
इनमें ऑसीमम सैक्टम को प्रधान या पवित्र तुलसी माना गया जाता है, इसकी भी दो प्रधान प्रजातियाँ हैं- श्री तुलसी जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी जिसकी पत्तियाँ निलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं। श्री तुलसी के पत्र तथा शाखाएँ श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं। गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान हैं। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं।भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है।
तुलसी के पौधे औषधीय कार्य जिससे कुछ रोग ठीक हो सकते है
भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।